सफलता - हर इंसान की मंज़िल
हम जानते है हमारे चारो तरफ तरह तरह के वर्गीकरण होते है, हमने जिनके बारे पढ़ा भी है , जैसे - जाती का वर्गीकरण, धर्मो का वर्गीकरण आदि | लेकिन एक और वर्गीकरण होता है, जिन्हे हम इंसान नजरअंदाज कर जाते है - वो होता है इंसानो का वर्गीकरण सफलता के आधार पर अर्थार्थ सफल इंसान और असफल इंसान | सरल भाषा में कहे तो हमारे चारो तरफ दो प्रकार के इंसान होते है - पहले सफल इंसान , दूसरे असफल इंसान |
हम इन दोनों तरह के इंसानो के बारे में जानेगे की आखिर इनमे क्या अंतर है , क्यों यह दोनों तरह के इंसान अपने आप में एक दूसरे के बिलकुल विपरीत है |
सर्वप्रथम, हम असफल इंसानो के बारे में जानते है -
असफल इंसानो को अगर हम सरल और साधारण परिभाषा दे तो कुछ यूँ परिभाषा दी जाएगी की - असफल इंसान वो इंसान होते है जो अपने सामने आने वाली मुसीबतो को देख कर डर जाते है, और अपने सपनो से, अपने लक्ष्यों से इंकार कर जाते है |
हमे यहाँ समझना है , की जब वो अपने लिए कोई लक्ष्य तय करते है , उस वक्त पुरे आत्मविश्वास के साथ वो उस लक्ष्य को प्राप्त करने की दौड़ दौड़ने लगते है , लेकिन इनके इस सफर में जैसे ही कोई मुसीबत इनके सामने आती है , तो वो डर जाते है , और अपने लक्ष्यो को अपने सपनो को अधूरे छोड़ देते है , क्यूं उनकी सोच उनको आगे बढ़ने नहीं देती है उन्हें खुद पर भरोसा नहीं होता की वे इन मुसीबतो का जो उनके खिलाफ खड़ी है सामना कर सकते है या नहीं .... और बिलकुल यहीं पर वो इंसान अपने आपको सफलता से अलग कर बैठते है |
दूसरा जो वर्ग वो है सफल इंसानो का यह इंसान भी उसी सोच के साथ उसी आत्मविश्वास के साथ अपना सफर शुरू करते है वही खुद पर भरोसा, वही आत्मविश्वास भरा हुआ दिमाग ,जज़्बा | ऐसा नहीं है की इनके सामने मुसीबते नहीं आती है, इनके सामने भी मुसीबत आती , लेकिन यह है की बस हार नहीं मानते, अपने लक्ष्यों पर बने रहते है | मेरे अनुसार इनकी यही खूबी है की यह अपने लक्ष्यों पर से नहीं हटते है उनकी यही लक्ष्य की और ही देखने की सोच उनकी हर मुसीबतो को पारदर्शी दर्पण की तरह बना देती है, जिसमे से इन्हे अपनी कोई मुसीबत ना दिख कर, उस दर्पण के परे सिर्फ उनका लक्ष्य ही दिखाई देता है | यही सोच इनको पहले वर्ग के लोगो से अलग और ख़ास बनाती है |
इसीलिए सफल होने के लिए पहली बात यह है की -
हमे सिर्फ अपने लक्ष्य ही को देखना है, हमारा केंद्र बिंदु सिर्फ हमारा सपना या हमारा लक्ष्य ही हो | मुसीबते आएगी ,लेकिन उन मुसीबतो को सामना करने का हमे अपने में जज़्बा रखना होगा |सही कहा गया है की " नजर हटी दुर्घटना घटी " यह ही है ज़िंदगी , आपकी नजर अपने लक्ष्य से हटेगी आपका सपना सब व्ही खतम हो जाएगा, आप वही डगमगा जाओगे | कोशिश पूरी यही रहे की आप अपनी नजर सिर्फ अपने लक्ष्य पर ही रखे ,और मुसीबतो का सामना करना भी जरूररी है , में समझता हूँ की जब तक आप कोई मुसीबतो का सामना नहीं करते तब तक आप एक सफल इंसान नहीं हो |
हाँ एक बार हज़ार बार हम असफल होंगे , लेकिन हमे अपनी कोशिश नहीं हारनी चाहिए... कोशिश जारी रखनी चाहिए | जब तक आप असफलता का स्वाद नहीं चखेंगे तब तक आप यह नहीं कह सकते की सफलता असफलता से अच्छी है |
उदाहरण के लिए....मान लीजिये आपके सामने आपकी दो सबसे पसन्दीदा मिठाईया है | आपने एक खाई और कहा की यह दूसरी वाली से अच्छी है | यह तो मुमकिन नहीं है, जब तक आप दूसरी भी चख नहीं लेते तब तक इस नतीजे पर पहुंचना तो गलत होगा |उसी प्रकार जब तक आप असफलता नहीं पा लेते तब तक यह भी कहना गलत होगा की सफलता और अच्छी है | सफलता का असल स्वाद तो तभी आएगा जब आपने असफलता को भी चखा हो और सफलता को भी,,,तब आप तुलना करके कह सकते है की सफलता का स्वाद ज्यादा अच्छा है | थॉमस अल्वा एडिसन हज़ारो असफल कोशिशों के पश्चात बल्ब का आविष्कार कर पाए | ऐसे अनेक असफलताएं आएगी , और यह ही असफ़लताएयें आपको सफलता की ओर आपको राह दिखाएगी |
तो मेरे कहने का तात्पर्य यही है की जब आपके सामने असफलता आती है तो हमे निराश नहीं होना है की में असफल हो गया हूँ , क्यों की असफलता ही आपको सफलता की और लेकर जाएगी , असफलता ही आपको सफलता रुपी मंज़िल का रस्ता दिखाएगी |
और दूसरी बात जो हमे जाननी है सफल होने के लिए वो यह की -
अपने मुसीबतो , समस्याओ को बड़े बड़े पर्वत जैसा मत बनाओ , हम करते है ऐसा कोई समस्या आने पर उसे पर्वत जैसा बड़ा रूप देने की कोशिश करते है की मैं इसका मुकाबला नहीं कर पाऊंगा , लेकिन हमे ऐसा नहीं करना है बल्कि इसके विपरीत अपने आप पर, अपने खुदा पर भरोसा रखे, और अपनी उन समस्याओ को पारदर्शी दर्पण के रूप में ले की उसमे आपको कोई मुसीबत रुपी वो दर्पण नहीं दिख रखा है , कोई समस्या का पर्वत नहीं दिखाई देता हो, लेकिन उस दर्पण में से आपको आपका लक्ष्य दिखाई देता हो, आपको अपना वो स्वप्न दिखाई देता हो जो पर्वत रुपी मुसीबत को पार करने के बाद आपका इंतज़ार कर रहा ह| किसी ने सही कहा है की " समस्या को समस्या समझना ही दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है "बस अपने आप को साबित करने एक स्थिति देखे की मुझे अपने आप को साबित करना है की मैं यह कर सकता हूँ | हाँ, बहुत सी आकर्षित चीज़े आपको पीछे खिंचेगी , बस आपको दौड़ना है अपनी सफलता की उस अंतिम रेखा तक | यह मायने नहीं रखेगा की आप कौन से नंबर पर पहुंचे है, लेकिन यह मायने रखेगा की आपने अपनी दौड़ पूरी की है या नहीं |
तो मतलब मुसीबतो को देख कर अपना सपनो से इंकार ना करे, अपने लक्ष्य से मुड़े नहीं, बल्कि मुसीबतो का सामना करने का जज़्बा ,आत्मविश्वास अपने अंदर रखे, उन मुसीबतो का सामना करके अपनी सफलता रुपी पताका को फहराएं ||
जैसा कहा गया है की " सफलता की उड़ान परो से हौसलों से ली जाए " जितना हम अपने आप में मजबूत होंगे, जितना हम भरोसा रखेंगे उतनी ही सफलता आपके करीब होगी |
जब तक एक बच्चा परीक्षा नहीं दे देता है, तब तक वो एक ही कक्षा में होता है | जब वो परीक्षा देता है तब वो अगली कक्षा में बैठता है , उसी प्रकार जब हम समस्याओ का सामना करते है तब हमे समझना है की परीक्षा का सामना करके मेरी तरक्की होने वाली है, मुझे सफलता मिलने वाली है, मैं एक नए अनुभव में जाऊँगा |
बस इसी तरह अपने सफलता रुपी मंज़िल पहुँचने तक अपनी मेहनत और आत्मविश्वास को बढ़ाते रहे, पूरी तरह अपने लक्ष्य पर अपनी नजर रखे , असफलताओ में कोशिश करने वाले को ही सफल इंसान कहते है और ऐसी ही कोशिशों के जरिये सफलता जल्दी ही आपके कदमो पर होगी ||
हिंदी साहित्य के एक महान कवि सोहन लाल द्विवेदी जी कुछ यूँ लिखा है की
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती ||
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगो में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आखिर उसकी म्हणत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालो की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगता है
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालो की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो ओर सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्षका मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालो की हार नहीं होती